बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
भूषण
इन्द्र जिमि जम्भ पर,
बाने फहराने, निज म्यान
तें मयुखैतथा दारुन दहत हरनाकुस बिदारिबे को
व्याख्या भाग
1. भूषण
इंद्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यों अंभ पर,
रावन सदंभ पर, रघुकुल राज हैं। पौन बारिबाह पर,
संभु रतिनाह पर, ज्यौं सहस्त्रबाह पर राम-द्विजराज हैं।
दावा द्रुम दंड पर, चीता मृगझुंड पर,
'भूषण वितुंड पर, जैसे मृगराज हैं।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर
त्यों मलिच्छ बंस पर, सेर सिवराज हैं।।
शब्दार्थ - जिमि जैसे। जंभ = जंभासुर नामक असुर बाड़व = जल में लगने वाली अग्नि।अंभ = जला सदंभ = घमण्डी पौन = पवन, वायु बारिबाह = जलयुक्त बादल। रतिनाह = कामदेव। दावा = जंगल में लगने वाली अग्नि। वितुंड= हाथी।
सन्दर्भ - यह पद हिन्दी साहित्य के रीतिकाल के वीरकाव्य परम्परा के श्रेष्ठ कवि भूषण द्वारा रचित 'शिवभूषण' से संकलित किया गया है।
प्रसंग - भूषण ने इस पद को शिवाजी महाराज की वीरता का वर्णन करते हुए लिखा है। इसमें उन्होंने शिवाजी महाराज की वीरता का वर्णन किया है।
व्याख्या - भूषण कहते हैं कि जैसे इन्द्र ने जंभासुर नामक राक्षस का वध किया और जल की अग्नि जल को नष्ट करती है और घमंडी रावण पर रघुकुल के राजा ने राज्य किया और जिस प्रकार पवन जल युक्त बादलों को उड़ा ले जाता है। और शिव शम्भू ने रति के पति कामदेव को भस्म किया था तथा सहस्त्रबाहु अर्जुन को मारकर परशुराम ने विजय प्राप्त की तथा जिस प्रकार जंगल की अग्नि जंगल को जला देती है और चीता हिरणों के समूह पर और जंगल का राजा शेर हाथियों पर अपना अधिकार कायम रखता है और रोशनी अन्धकार को समाप्त करती है जिस प्रकार कृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध किया। ठीक उसी प्रकार मलेच्छवंश पर वीर शिवाजी महाराज शेर के समान हैं। भाव यह है कि जिस प्रकार जंभासुर पर इन्द्र, समुद्र पर बड़वानल, रावण के दम्भ पर रघुकुल राज, बादलों पर पवन, रति के पति अर्थात् कामदेव पर शम्भु, सहस्त्रबाहु पर ब्राह्मण राम अर्थात् परशुराम, पेड़ों के तनों पर दावानल, हिरणों के झुण्ड पर चीता, हाथी पर शेर, अंधेरे पर प्रकाश की एक किरण, कंस पर कृष्ण भारी हैं उसी प्रकार मलेच्छ वंश पर शिवाजी शेर के समान हैं।.
काव्यगत विशेषताएँ-
1: शिवाजी के शौर्य का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन है।
2. कवि ने पौराणिक पात्रों से शिवाजी की तुलना की है।
3. भाषा - ब्रजभाषा।
4. शैली - मुक्तक।
5. रस - वीर रस।
6. छन्द - मनहरण कवित्त।
7. अलंकार - उपमा, अतिशयोक्ति, उत्प्रेक्षा।
(2)
बाने फहराने घहराने घंटा गजन के,
नाहीं ठहराने राव राने देस-देस के।
नग भहराने ग्राम नगर पराने सुनि,
वाजत निसाने सिवराजजू नरेस के॥
हाथिन के हौदा उकसाने कुंभ कुंजर के,
भौन को भजाने अलि छूटे लट केश के।
दल के दारहु ते कमठ करारे फूटे,
केरा कै से पात विहराने फन सेस के।
शब्दार्थ - बाने झण्डे। घहराने बहुत अधिक ध्वनि के साथ बजने। भहराने = टूट गये। पराने = भगाने लगे। कुम्भ = हाथी का मस्तका कुंजर = हाथी दरारन ते = रगड़ से। कमठ = कछुआ। करारे = कठोर। बिहराने फट गये। सेम = शेष नाग।
सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्य महाकवि भूषण द्वारा रचित 'शिवा बावनी' शीर्षक काव्य से उद्धृत जिसके 52 छन्दों में छत्रपति शिवाजी के शौर्य का वर्णन किया गया है।
प्रसंग - प्रस्तुत पद्य में कविवर भूषण ने शिवाजी के भयंकर प्रभावों का चित्रण किया है।
व्याख्या - भूषण कहते हैं कि जैसे ही वीर शिवाजी की सेना के झण्डे हवा में फहराने लगे और हाथियों के गले में पड़े घण्टे बजने लगे उसे देखकर विभिन्न देशों के राव और राणा ठहर न सके। पहाड़ टूट-टूट कर गिरने लगे, आस-पास रहने वाले ग्रामवासी राजा शिवाजी के नगाड़ों की ध्वनि सुनकर इधर-उधर भागने लगे। भूषण कहते हैं कि हाथियों की तेज गति के कारण हौदे हिलने लगे थे। हाथियों की कनपटी से बहने वाले मद पर जो भौरे मंडरा रहे थे वह उनकी तेज गति के कारण भागकर अपने-अपने घर जाने लगे। उस समय उड़ते हुए भौर ऐसे लग रहे थे मानो लटों के खुल जाने पर केश (बाल) इधर-उधर लहरा रहे हों। शिवाजी की सेना के चलने की दहल से पृथ्वी को धारण करने वाले कछुए की कठोर पीठ भी टूट गई और शेषनाग का फन केले के पत्ते की भाँति फट गया।
विशेष -
1. शिवाजी की सेना की विशालता और उसके चलने से उत्पन्न प्रभाव और आतंक का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन है।
2. कहा जाता है कि पृथ्वी शेषनाग के फन और कछुए की पीठ पर टिकी है।
3. भाषा - ब्रजभाषा।
4. शैली – मुक्तक।
5. रस - वीर।
6. छन्द - मनहरण कवित्त।
7. अलंकार - उपमा, अतिशयोक्ति, उत्प्रेक्षा, पुनरुक्ति प्रकाश, देहरी- दीपक
(3)
निकसत म्यान ते मयूखै, प्रलै-भानु कैसी,
फारे तम-तोम से गयंदन के जाल को।
लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनि सी,
रुद्रहि रिझाव दै दै मुंडन की माल को।
लाल छितिपाल छत्रसाल महाबाहु बली,
कहाँ लौ बखान करौं तेरी करवाल को।
प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,
कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को।
शब्दार्थ — निकसत = निकलते ही। मयूखै = किरणें। प्रलैभानु = प्रलयकालीन सूर्यतमतोम = गहन अन्धकार। गयंदन=।बड़े-बड़े हाथी। जाल = समूह। करवाल = तलवार। कलेऊ = जलपान; कलेवा; नाश्ता।
सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्य - पंक्तियाँ महाकवि भूषण द्वारा रचित 'भूषण ग्रन्थावली' काव्य के 'छत्रसाल - प्रशस्ति' शीर्षक काव्यांश से उद्धृत है।
प्रसंग - इस छन्द में महाकवि भूषण ने परम यशस्वी, हिन्दू-धर्म-संरक्षक तथा महाप्रतापी महाराज छत्रसाल की तलवार का ओजपूर्ण भाषा में वर्णन किया है।
व्याख्या - महाकवि भूषण कहते हैं कि छत्रसाल की तलवार म्यान से निकलते ही प्रलयकालीन सूर्य के समान प्रचण्ड और भयंकर रूप में चमकने लगती है और घने अन्धकार के समान काले और विशालकाय हाथियों के समूह को चीर देती है। वह तलवार सर्पिणी के समान शत्रुओं के कण्ठों से लिपटकर उनके प्राणों को हर लेती है और इस प्रकार मुण्डों की माला देकर शिवजी को प्रसन्न करती है। तात्पर्य यह है कि छत्रसाल की तलवार मुण्डों की माला पहनने वाले रुद्र (शिवजी के अवतार) को शत्रुओं के मुण्ड देकर प्रसन्न कर देती है। कवि भूषण कहते हैं कि हे महाप्रतापी पृथ्वीपति और चिरंजीवी छत्रसाल ! आपकी इस तलवार की अद्भुत और चमत्कारिणी शक्ति का वर्णन कहाँ तक करूँ; अर्थात् शब्दों के माध्यम से आपकी इस तलवार की प्रशंसा करना सम्भव नहीं है। महाराज छत्रसाल की वह तलवार काँटेदार झाड़ियों के समान दुःखदायी शत्रुओं की सेना को काट-काटकर तथा काली देवी के समान किलकारी मारती हुई, यमराज को नाश्ता कराती है।
काव्य-सौन्दर्य -
1. इस छन्द में महाराज छत्रसाल की वीरता का ओजपूर्ण वर्णन किया गया है। छत्रसाल को युद्ध में निपुण महावीर के रूप में दिखाया गया है।
2. भाषा - गतिशील ब्रजभाषा का प्रयोग।
3. अलंकार - उपमा, अतिशयोक्ति, पुनरक्तिप्रकाश एवं अनुप्रास।
4. रस - वीर रस।
5 गुण - ओज।
6. शब्दशक्ति - लक्षणा।
7. छन्द - मनहरण कवित्त।
(4)
दारुन दइत हरनाकुस बिदारिबे कौं,
भयौ नरसिंह रूप तेज विकरार है।
भूषण भनत त्यौं ही रावन के मारिबे कीं,
रामचन्द्र भयौ रघुकुल- सरदार हैं।
कंस के कुटिल बल - बंसन बिधंसिबे कौं,
भयौ जदुराय वसुदेव को कुमार है।
पृथ्वी - पुरहूत साहि के सपूत सिवराज,
मलेच्छन के मारिबे कौं तेरो अवतार है।"
शब्दार्थ - दारुन- दइत = भयंकर दैत्य। हरनाकुस = हिरण्यकशिपु। बिदारिबे कौं = छाती फाड़कर मारने के लिए। विकरार विकराल। बिधंसिबे को = विध्वंस करने के लिए। पृथ्वी-पुरहूत पृथ्वी के इन्द्र। मारिबे = मारने के लिए।
सन्दर्भ - यह पद हिन्दी साहित्य के रीतिकाल के वीरकाव्य परम्परा के श्रेष्ठ कवि भूषण द्वारा रचित 'शिवराजभूषण' कृति से लिया गया है।
प्रसंग - प्रस्तुत पद में कवि भूषण ने वीर शिवाजी को कलियुग का अवतार बताया है।
व्याख्या - कवि भूषण कहते हैं कि जिस प्रकार सतयुग में भयंकर असुर अथवा दैत्य हिरण्यकशिपु की छाती फाड़कर मारने के लिए विकराल तेजयुक्त नरसिंह का अवतार हुआ था; जिस प्रकार त्रेता युग में रघुकुल के नायक श्री राम ने रावण को मारने के लिए अवतार लिया था; जिस प्रकार द्वापर में कुटिल कंस के बली वंश का विध्वंस करने के लिए यदुराज वासुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था; ठीक उसी प्रकार कलियुग में पृथ्वी के इन्द्र, साहि के सुपुत्र वीर शिवाजी ने मलेच्छों को मारने के लिए अवतार लिया।
काव्यगत विशेषताएँ-
1. शिवाजी को अवतारों के समकक्ष बताया गया है।
2. भाषा - ब्रजभाषा।
3. रस - वीर रस।
4. अलंकार - उपमा, अतिशयोक्ति, अनुप्रास।
5. छन्द - मनहर छन्द।
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- अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
- प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
- प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
- प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
- अध्याय - 4 भूषण
- प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
- प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
- अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
- प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
- अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
- अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
- प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
- अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
- प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
- प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
- प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
- प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
- प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
- प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
- प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
- प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
- प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
- प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
- अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
- प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
- प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
- प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
- प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
- प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 21 कवि प्रदीप
- प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
- प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
- प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
- अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
- अध्याय - 23 प्रेम धवन
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
- अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
- प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
- प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
- अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
- प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
- अध्याय - 26 गुलशन बावरा
- प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
- अध्याय - 27 इन्दीवर
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
- अध्याय - 28 प्रसून जोशी
- प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?